छोटी कहानी शिक्षा देने वाली chhoti kahani shiksha dene wali

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एक आदमी है जिसके चार छे दोस्त हैं 4-6 दोस्त साथ में बैठ के चाय पीते हैं साथ में ही खाते-पीते हैं और साथ में अधिक समय गुजरते हैं। तभी क्या हुआ उन चार दोस्तों में जो एक दोस्त था वो सोचा की अपने दोस्तों के साथ में व्यर्थ में समय गुजरता हूं कभी यहां घूम रहा हूं , कभी यहां चाय पी रहा हूं, कभी यहां समय व्यर्थ जा रहा है।

तो एक दोस्त ने सोचा क्यों ना मैं अपना खुद का बिजनेस शुरू कर डन क्यों नाम है अपना खुद का स्वरूप कुछ कम शुरू कर तो एक ने कम स्टार्ट किया अपना कुछ भेजने और वो उसमें आगे बढ़ाने लगा जब वो आगे बढ़ाने लगा तो उसके जो तीन दोस्त अब उन तीनों को लगा यार ये तो हमसे बहुत आगे चला गया फिर वो तीन कौन हो गए वही तीन हो गए उसके सबसे बड़े वही तीन दुश्मन। 

कहीं बाजार से लाने नहीं पढ़ते की चलो भैया तुम हमसे दुश्मनी करो दुश्मन हमें कहीं बाजार से लाने नहीं पड़ते आप वो एक लड़का एक व्यक्ति जो सफल हो गया तो उसके अपने वो दोस्त वो तीन बन गए दुश्मन और वह उसको खींचने लगे की हम जैसे हैं तुम भी रहो हमारी तरफ कहां आगे जा रहे हो है ना तुम भी हमारी तरह रहो। 

तो समाज में आप यह गलती करते हैं की आप पहले ज्यादा किसी को मुंह लगा लेते हैं फिर वही लोग जिनके साथ आप उठाते बैठते द वही लोग आपकी बुराई करने लग जाते हैं वही आपको उलझने लग जाते हैं वही आप पर मिथ्या आरोप लगाने लग जाते हैं। 

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इसलिए इसलिए कहा करता हूं की समाज में ज्यादा लोगों के बीच में उठाना बैठना भी बुरा है चार जगह उठे बैठे हैं बैठेंगे चार बातें होंगी चार बातों में कौन सी बात किसको बुरी लग जाए और कौन सी बात का वह राय का पहाड़ बना दे इसलिए समाज में ज्यादा लोगों के साथ उठाना बैठना भी अच्छा नहीं।

आप किसी को अपने घर बुलाए आप एक बहुत बड़ा घर बनाया आप बहुत कामयाब हो जाइए तो आप जिनको अपने घर बुलाएंगे तो जो आपके घर आएंगे ।आप शादी में बुलाए बच्चे के जन्मदिन में बुलाए किसी को किसी को समाज को आप बुलाते हैं सब लोग आते हैं तो सब लोग आते हैं तो जरूरी नहीं है की बहुत लोग आपको आशीर्वाद देने ही आए हैं। 

कुछ लोग आपका वैभव देखकर ईर्ष्या पालने अरे इनके पास इतना है रे तो इतनी तरक्की कर गए वो आपसे मिलेंगे आपका सब देखेंगे और जाकर के आपसे इरशाद चालू कर देंगे इसलिए ज्यादा लोगों उनके साथ उठो बैठो जो सदा भगवान की चर्चा करें सत्संग किया करो सत्संग में उठो बैठो व्यर्थ की प्रपंच पंचायत में ना उलझे। 

एक गांव का एक आदमी शहर चला गया और शहर जाकर उसने पहली बार लालटेन लेकर के आया क्या लाया जब लालटेन शुरू शुरू चला था तो लालटेन का भी एक क्रेज़ था लालटेन जानते हैं आप लोग लालटेन लेकर आया अब उसने अपने आंगन में लालटेन जलाया और लालटेन ऐसा होता है की आंगन में हवा हवा चलती रहे तो भी जलता रहे क्योंकि कांच का सपोर्ट रहता है। 

भैया ये क्या चीज ले आए तुम हमारा दिया तो हवा में बुझ जाता है तुम्हारा बुझ नहीं रहा है अब सारे गांव वाले देखने आए उसकी लालटेन अब गांव वालों में कान्हा फुंसी चालू हो गई यार भैया अपन सब के घर में अंधेरा है इसके घर में उजाला है क्या करें । 

किसके घर में भी अंधेरा हो जाए क्या करें की इसके घर में भी अंधेरा हो जाए [संगीत] तो गांव के सभी लोगों ने कुछ लोगों ने जो ईर्ष्या वाले द उन लोगों ने प्लान बनाया उन लोगों ने कहा या तो इसका लालटेन हम लोग फोड़ दें [संगीत] अच्छा बताइए एक उपाय हमने बताया गांव के लोगों ने सोचा कुछ लोगों ने किया तो हम इसका लालटेन छोड़ दें तो यह भी हमारी जैसे हो जाएगा फिर से। 

क्योंकि हमारे घर में अंधकार है इसके घर में भी अंधकार रहेगा क्योंकि इसके घर मुझे ले या तो एक उपाय यह है किसका लालटेन फोड़ दिया जाए या दूसरा उपाय यह है अब बताओ दूसरा उपाय क्या है आप लोग बताओ दूसरा उपाय क्या है बता दो दूसरा उपाय या तो अपन अपने घर को भी रोशनी से भर लें या तो इसका भी लालटेन तोड़ डालें कौन सा उपाय अच्छा है।

लालटेन तोड़ देना समाधान नहीं है आप अपने आप को भी इतना कामयाब बना लो की आपके घर भी एक लालटेन हैं और आपका भी घर प्रकाश से भर जाए तो जीवन में यह सबक हमें लेना सीखना चाहिए की हम दूसरों को देखकर जालना बंद करें और अपने को भी उसकी तरह कामयाब बनाए हैं। 

अपने को भी हम उसकी तरह कामयाब बनाएं तो यह सिद्धांत जीवन में आप सब लोगों की कम आएंगे आपके बच्चों के कम आएंगे उतना मौसी जैसे लोग भी समाज में रहते हैं जो जहर लेकर के चली गई और भगवान को जहर पिलाना चाह रही हैं। 

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भगवान कृष्ण ने अपनी आंखें मुंड ली एक मैसेज है यह मैसेज भगवान से मिल रहा है भगवान श्री कृष्ण कहना चाहते हैं की जो लोग आपके लिए जहर लेकर खड़े हो जो लोग सदा आप के लिए बुरा सोचते हो ऐसे लोगों को देख कर नेत्र बंद कर लो और ऐसे लोगों से सदा दूरी बना करके रखो। 


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