Breaking

गुरुवार, 1 अगस्त 2024

श्रीमद-भागवतम (भागवत पुराण) Srimad Bhagwat Mahapuran In Hindi

 श्रीमद-भागवतम (भागवत पुराण) Srimad Bhagwat Mahapuran In Hindi 

श्रीमद-भागवतम (भागवत पुराण) Srimad Bhagwat Mahapuran In Hindi

श्री मद्भागवत जी के बारह स्कंध जो भगवान के शब्दमय श्री विग्रह के दिव्य अंग है तथा अठारह हजार श्लोक एवं तीन सौ पैतिस अध्याय से सुसज्जित है। 

जो अठारह पुराणों में से एक है समस्त पुराणों के तिलक मुकुट मणि रूप में विराजते है।
सभी देवी देवता संपूर्ण चराचर विश्व जिनकी आराधना पूजन वंदना करते है। 

उनकी दिव्य कथा करोड़ो जन्म के जन्म जन्मांतरों के पुण्यों के उदय होने के पश्चात् ही श्री भगवान की कथा श्रवण का सौभाग्य शुभ अवसर प्राप्त होता है, जब भगवान की विशेष कृपा हो तो कथा रूप में स्वयं भगवान जीवन में प्रवेश करते है, कथा में प्रीति होना ही परमात्मा से प्रीति होना है ऐसी ही श्री मद्भागवत जी की महिमा। 

फिर चाहे गजेंद्र की रक्षा हो या समुद्र मंथन की लीला , मन जिसे हम कभी जीत न सके भगवान की कृपा के बिना वही परमपिता परमात्मा अजीत रूपधारण कर हमारे मन को समस्त मायावी विषय विकार रत्नों से जीत प्रदान कर परमात्मा के श्री चरणों की सेवा तथा प्रभु कथा श्रवण रसास्वादन का अमृत पान करा कर अजीत कृपा स्वरूप दर्शन कराते है।

त्रिपुर दहन की लीला में शिव शंकर जी के स्मरण करने पर प्रभु गोरुप धारी ब्रह्मा जी को साथ लिए गौ बछड़े बन कर चले आते है। संपूर्ण अमृत पान कर जाते है शिवजी तब अभिजीत मूहर्त में बाण छोड़ तीनों पुर जलाकर भस्म करते है तब त्रिपुरारी कहलाते है
प्रभु नारायण कितने लीला कर सब पर कृपा बरसाते हैं।

वही भगवान वामन ब्राह्मण अवतार लेकर बलि को दानी बनाते है दान में तीन पग में भूमि में समूची पृथ्वी नीचे ऊपर सातों लोक सत्यलोक तथा तीसरा पैर कहां रखे तो बलि ने कहा प्रभु मेरे मस्तक पर अपने चरण रख दीजिए इस भाव से प्रसन्न हो जो करुणा भक्त वत्सल भगवान बलि को सुतल लोक राज्य के राजा बना कर स्वयं द्वारपाल बन जाते है वैसे ही प्रभु प्रत्येक भक्त पर अपनी कृपा अवश्य बरसाते है।

राजा सत्यव्रत को धान्य औषधियों के साथ सप्तऋषियों के संग जो सुरक्षित जनकल्याण के लाभ सुरक्षा के लिए प्रभु मत्स्य अवतार की आश्चर्य चकित लीला दिखाते है।

भक्त अम्बरीश की सुरक्षा में जो सुदर्शन चक्र लगाते है। भक्त अम्बरीश जी को ऋषि दुर्वासा के क्रोध से रक्षा प्रदान कर जो निर्दोष भक्त को ऋषि दुर्वासा के दंड देने पर जो प्रभु ऋषि दुर्वासा को दौड़े दौड़े भगाते है श्री चरणों में अभिमान क्रोध गलित कर शिक्षा प्रदान कर दुर्वासा जी का, भक्त अम्बरीश जी का मान जो बढ़ाते है वही प्रभु अपनी कृपा हम सब पर भी नित्य बरसाते है।

यदुवंश चंद्रवंश सबके अंश में समाते है सब पर कृपा बरसाते है। माता यशोदा देवकी के लाला संसार की समस्त मईया को लाला का सुख आनंद प्रदान कर मईया को ममता से भर जाते है कन्हैया सबके मन को भाते है सबको लीला दिखाते है सबके मन को मोह लेते है सब पर कृपा बरसाते है।

फल वाली पर करे कृपा तो अंजलि भर अनाज में टोकरी रत्नों से भर जाते है श्री कृष्ण सब पर कृपा बरसाते है।

पूतना विष स्तन में लगा कन्हैया को मारना जो चाहे दुग्ध पान कराए तो नटखट श्री कृष्ण पूतना को भी माता यशोदा के समान स्थान दे गति प्रदान कराते है, पुत बनकर जो ना च सबको नचाए कन्हैया ऐसी लीला रचाते है, मोहन सबपर कृपा बरसाते है।

वत्सासुर, बकासुर, अघासुर, धेनुकासुर, कालिया मर्दन, प्रालंबासुर, श्री कृष्ण सबका उद्धार कर कल्याण करते है।

श्री कृष्ण सब पर कृपा बरसाते हैं। प्रकृति जिनसे ऋतु जिनसे प्रभु सबके जीवन को सुंदर बनाते है सबको प्रसन्न आनंद कर परोपकारी बनना सिखाते है। श्री कृष्ण सब पर कृपा बरसाते हैं।

सब गोपियन की मन की जो जाने सबके मन को जो हर्षाए
चोरी चोरी माखन जब खाए लीला करे तो माखन चोर कहलाए

चीर हरण की लीला करे तो वस्त्र चोर कहलाते है
प्रभु सुंदर संदेश सबको देकर नित्य लीला रचाए

कभी रास लीला से प्रसन्न करे तो कभी विरह वेदना से सबको रुलाए श्री कृष्ण सबका दिल चुरा ले जाए कन्हैया सबपर कृपा बरसाते है। ग्वाल बाल सखाओं संग भूख लगे तो ब्राम्हण पत्नियों के यहां भोजन जो पाए ऐसी कृपा बरसाए की जीवन सफल बनाए श्री कृष्ण सबपर कृपा बरसाते हैं।

गोवर्धन की लीला करे तो इंद्र की पूजा के स्थान पर गोवर्धन पूजा श्री कृष्ण सबसे करवाते है, मानसी गंगा स्मरण प्रकट हो पूजन छप्पन भोग लगा भोग पाते है, रुष्ठ हो इंद्र देवता
भी अति जल बरसाते है तब श्री कृष्ण करते है लीला गिरिराज बांए हाथ की छोटी उंगली से उठा सबकी रक्षा करते है। 

इंद्र का अभिमान खंडित हो तब वे भी क्षमा मांगने श्री कृष्ण के समीप आते है सुरभी गाय साथ ले श्री कृष्ण को मनाते है, सुरभी गाय करे अभिषेक श्री कृष्ण का गोविंद नाम कहलाते है। 

करे गायों से प्रेम रक्षा करने वाले गो रक्षक कहलाते है
गोविंद सब पर कृपा बरसाते हैं।

सबके दाता राम बनकर भोजन भी दे जाते है, अपने हाथ से भोजन प्रभु स्वयं कराते है
प्रभु सबपर कृपा बरसाते है।

सुदर्शन का करे कल्याण शंख चुंड, अरिष्टासुर, केसी,का करे उद्धार अक्रूर जी भी दर्शन पाते है, उद्घव ज्ञानी भी हारे गोपियों के प्रेम में मस्तक अपना झुकाए प्रेम सार को माने है।

कन्हैया सबको प्रेम सिखाते है श्री कृष्ण सबसे प्रेम निभाते है श्री कृष्ण सब पर कृपा बरसाते हैं।

रणनीति की जो चाल जान जाते है
अपनी अलौकिक लीला तब रचाते है
रण को छोड़ भागे तो प्रभु
रणछोड़ कहलाते है
द्वारका का करे निर्माण
द्वारकाधीश जो कहलाते है
बलदाऊ बलराम जी का रेवती से कर विवाह
श्री कृष्ण जी रुक्मिणी के प्रेम को स्वीकार कर विवाह करते है
जांबवंती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिंदा, सत्या, भद्रा, लक्ष्मणा सोलह हजार एक सो आठ रानियों को अपनाते हैं
प्रभु इतनी कृपा बरसाते है,
प्रभु सबके प्राण बचाते है सबकी रक्षा के लिए स्वयं सुरक्षा कवच बन जाते है।

प्रदुम्न जन्म समस्त श्री कृष्ण संतानों पर अपना प्रेम लुटाते है अपनी कृपा बरसाते है , शम्ब्रासुर का करे उद्धार प्रभु सबके लिए कल्याण मार्ग खोल जाते है।

श्री सुदामा के प्रेम में मुट्ठी भर चावल में रीझ जाते है , बिन कहे बिन मांगे ही प्रभु श्री मित्र सुदामा की मित्रता को दिल से निभाते है उन्हें हृदय से लगाते है, सुदामापूरी का राज्य दे श्री सुदामा की झोपड़ी को महल बनाते है प्रभु अलौकिक कृपा बरसाते है।

कभी योगेश्वर तो कभी ज्ञान के दाता बन जाते है
श्री मद्भागवत में प्रभु प्रत्येक वाक्य में
प्रत्येक नवीन नवीन प्रश्नों के उत्तर दे जाते है
प्रभु इतनी कृपा बरसाते है।

दत्तात्रेय बनकर जो पृथ्वी, वायु, आकाश, जल,अग्नि, चंद्रमा, सूर्य, कबूतर, अजगर, समुद्र, भोरें, पतंगा, पिंगला, सर्प, क्रूर पक्षी, हाथी, मछली, बालको, कुमारी कन्या, बाण बनाने वाले, शहद निकालने वाला, हिरण,मकड़ी, भ्रंगी क्रीड़ा, चोबीस गुरु की जो शिक्षा का उपदेश ज्ञान शिक्षा दे जाए प्रभु सबपर कृपा बरसाते हैं।

गोकर्ण जी की प्रार्थना पर
पतित धुंधकारी का करे उद्धार
आत्मदेव का करे कल्याण
प्रभु सबपर कृपा बरसाते हैं।
भक्ति महारानी नृत्य करे जहां ज्ञान वैराग्य पर करे कृपा
प्रभु की श्रीमद्भागवत कथा श्रवण कर जाने कितने जीव तर जाते है
भवसागर से पार उतर जाते है।
प्रभु सब पर कृपा बरसाते हैं।

चीर हरण में करुण पुकार द्रोपती की
सुन नेत्र में अश्रु लिए
बिना विलंब किए गोविंद
दौड़े दौड़े चले आते है
साड़ी के टुकड़े चिंदी के बदले पर वस्त्रा
रूप धारी अवतार बन
प्रकट हो जाते है
दुष्ट दुशासन को थका कर जो
दुर्योधन को पराजय दिखाते है,
द्रोपती की भरी सभा मे
प्रभु लाज बचाते है
प्रभु अति कृपा बरसाते है।

राजा परीक्षित का करे कल्याण उनके मोक्ष को देख अमृत कलश देवता ब्रह्मा देवता भी आश्चर्यचकित हो जाते है होते है इतने जिज्ञासु मोक्ष को देखकर की सत्यलोक में ब्रह्मा जी एक तराजू दिव्य लगाते है समस्त साधनों का पुण्य एक तरह एवं श्री मद्भागवत जी का पावन पुराण ग्रंथ एक तरफ रख अधिक फल पुण्य श्री मद्भागवत जी का पाते है।

समस्त साधन पुण्य देवता भी जहां हारे है वहां श्री मद्भागवत जी की महिमा के ही जय जयकारे है ऐसी ही श्री मद्भागवत जी के दिव्य महापुराण की महिमा। 

श्री मद्भागवत जी की की महिमा अपरम्पार है किंतु प्रभु कृपा से ही मैं अपने शब्दों में वर्णित कर रही हूं कि महिमा का अर्थ है - म से मेरा मुझमें कुछ नहीं जो कुछ है प्रभु तुम्हारा ही है जो इस भाव से भगवान में स्वयं को समर्पित कर देगा उसे ही यह प्राप्त होगा कि ऐसे जानने वाले ही हर कोई तर जाएगा। 

मा से माने तो जाने न जाने तो कैसे माने एवं प्रभु की कृपा तो इतनी विशाल है कि
जो जान कर माने या मानकर जाने उन पर भी कृपा करते ही है प्रभु सब पर कृपा बरसाते हैं। श्री मद्भागवत महापुराण की महिमा अपरम्पार है।

हरि अनंत हरि कथा अनंता।
कहहिं सुनहिं बहुविधि सब संता।।
श्री रामचंद्र जी के चरित सुहाए।
कल्प कोटि लगि जाहिं न गाए।।
अर्थात्: हरि अनंत है उनका कोई भी पार नहीं पा सकता है और उनकी कथा भी अनंत है। तथा समस्त संत लोग उसे बहुत प्रकार से कहते सुनते हैं। श्री रामचंद्र जी के सुंदर चरित्र करोडों कल्पों में भी नहीं गाए जा सकते है।

यदि मेरे द्वारा लिखे लेखन में कही भी मुझसे शब्दों में कोई भी किसी भी प्रकार की त्रुटि हो गई हो कमी रह गई हो तो मैं हाथ जोड़कर बारम्बार क्षमा याचना करते हुए यह लेख श्री गुरुदेव जी श्री राधे कृष्ण जी के श्री हरि प्रभु परमात्मा के श्री चरणों की सेवा में समर्पित करती हूं।

आपके श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम चरण स्पर्श वंदना 🙏🏻
जय श्री गुरुदेव जय श्री राधे कृष्ण

 श्रीमद-भागवतम (भागवत पुराण) Srimad Bhagwat Mahapuran In Hindi