देवी भागवत पुराण हिंदी devi bhagwat in hindi

देवी भागवत पुराण हिंदी devi bhagwat in hindi

देवी भागवत पुराण हिंदी devi bhagwat in hindi

* ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति विषयक प्रश्न तथा इसके अन्तर में व्यासजी का पूर्वकाल में नारद जी के साथ हुआ संवाद सुनाना *


जनमेजय ने व्यासजी से पूछा- हे भगवन्! आपने अम्बा यज्ञ द्वारा देवी के आराधना करने की आज्ञा दी है, अत: वे कौन हैं, कैसे और कब प्रकट हुयीं । 

साथ ही विस्तार पूर्वक ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति भी कहिए, क्योंकि भूदेव ! ब्राह्मण के विषय में जो कुछ कहा गया है तथा वह जैसा जो है, ये सभी बातें आप जानते हैं, मैंने ब्रह्मा, विष्णु, महेश इन तीनों देवताओं के विषय में सुना है कि ये सगुण रूप में सम्पूर्ण जगत का सृजन पालन एवं संहार करते हैं। 

हे पराशर सुत व्यास जी ! वे तीनों देव श्रेष्ठ स्वाधीन हैं अथवा पराधीन तथा सच्चिदानंद स्वरूप देवगण मरण धर्मा है अथवा नहीं? और वे आधिभौतिक, आधिदैविक तथा अध्यात्मिक इन तीन प्रकार के दुखों से युक्त हैं अथवा नहीं? 

वे तीनों महाबली देवेश काल के वशवर्ती हैं अथवा नहीं और वे कैसे तथा किससे आविर्भूत हुए, हे मुने! वे हर्ष, शोक आदि द्वन्द्वों से युक्त हैं, क्या वे निद्रा एवं प्रमाद आदि से प्रभावित है तथा क्या उनके शरीर सप्त साधुओं ( अन्न रस, रुधिर, माँस, भेद, अस्थि, मज्जावीर्य) से निर्मित हैं अथवा नहीं ।

देवी भागवत पुराण हिंदी devi bhagwat in hindi

वे किन द्रव्यों से निर्मित हैं, किन-किन गुणों को धारण करते हैं, उनमें कौन-कौन सी इन्द्रियाँ अवस्थित है उनका भोग कैसा होता है तथा उनकी आयु का परिमाण क्या है ? इनके निवास स्थान एवं विभूतियों के भी विषय में मुझ को बतलाइये। हे ब्रह्मन् ! इस कथा को विस्तारपूर्वक सुनने की मेरी इच्छा है।

व्यास जी बोले- हे राजन्! पूर्व में मैंने यही प्रश्न देवर्षि नारद जी से पूछा था जो गंगा तट के निर्जन स्थान पर बैठे हुए थे । हे महामति मुनिदेव ! इस अति विस्तीर्ण ब्रह्माण्ड प्रधान कर्त्ता कोंन कहा गया है, इसी की उत्पत्ति किससे हुई है ये नित्य है अथवा अनित्य, यह एक के द्वारा विरचित है अथवा अनेक कत्ताओं द्वारा । 

कुछ भगवान शंकर को ही मूल कारण मानकर उन्हें ही इस ब्रह्माण्ड रचियता कहते हैं, दूसरे विष्णु को सबका प्रभु, ईश्वर, समग्र संसार को शरण देने वाला आदि अन्त से रहित जानकर उन्हीं का स्तवन करते हैं।

अन्य लोग ब्रह्माजी के सृष्टि का कारण, सर्वज्ञ, सभी प्राणियों का प्रवर्तन, विष्णु के नाभि कमल से प्रादुर्भूत तथा सत्य लोक में निवास करने वाले बताते हैं, कुछ वे देवता सूर्य को ब्रह्माण्ड कर्त्ता मानते हैं। प्रात: सायं उसी की स्तुति करते हैं। 

देवी भागवत पुराण हिंदी devi bhagwat in hindi

कुछ सोमपान करने वाले शचिपति इन्द्र को सर्वश्रेष्ठ मानकर यज्ञों में उन्हीं का यजन करते हैं, कुछ लोग वरुण, सोम, अग्नि, पवन, यमराज, धनपति कुबेर तथा कुछ हेरम्ब, गजमुख, स्मरण मात्र से सिद्धि प्रदान करने वाले परम देव गणाधीश गणेश की स्तुति करते हैं। 

कुछ आचार्य भवानी को ही सब कुछ देने वाली, आदिमाया, महाशक्ति, पराप्रकृति कहते हैं वे उनको ब्रह्मस्वरूप, सृजनपालन, संहार करने वाली, सभी प्राणियों एवं देवताओं की जननी, आदि अंत रहित, पूर्णा सभी जीवों में व्याप्त, सभी लोकों की स्वामिनी निर्गुण, सगुण तथा कल्याण स्वरूप मानते हैं। 

फल की अकांक्षा रखने वाले उन भवानी का वैष्णवी, शांकरी, ब्राह्मी, वासवी, वारुणी, वाराही, नरसिंही, महालक्ष्मी, विचित्ररूपा, वेदमाता, एकेश्वरी, विद्या स्वरूपा, संसार रूपी वृक्ष की स्थिरता के कारण रूपा सभी कष्टों का नाश करने वाली और स्मरण करते ही सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली, मुक्ति चाहने वालों के लिए, मोक्षदायिनी, फल की अभिलाषा रखने वालों के लिए काम प्रदायिनी, त्रिगुणातीत स्वरूपा, गुणों का विस्तार करने वाली निर्गुण एवं सगुण रूप में ध्यान करते हैं। 

कुछ मुनीश्वर निरंजन, निराकार, निर्लिप्त, गुणरहित, रूपरहित, सर्वव्यापक, ब्रह्म को जगतकर्त्ता बतलाते हैं, वेदों, उपनिषदों, में कहीं-कहीं उसे अनंत सिर नेत्र, हाथ कान मुख चरण से युक्त विराज तेजोमय पुरुष कहा गया है। 

हे मुनिवर ! मेरे मन में ये तथा अन्य प्रकार के और भी संदेह पुंज उत्पन्न होते रहते हैं। 


धर्म तथा अधर्म के विषयों में मेरा मन स्थिर नहीं हो पाता, लोग कहते हैं कि देवता सत्वगुण से उत्पन्न हुए हैं, सत्य धर्म में स्थित रहते हैं फिर भी वे देवगण पापाचारी दानवों द्वारा प्रताड़ित किये जाते हैं तो फिर धर्म की व्यवस्था कहाँ रह गयी ? 

धर्मनिष्ठ और सदाचारी मेरे वंशज पाण्डव भी नाना प्रकार के कष्ट सहने को विवश हुए इस स्थिति में धर्म की क्या मर्यादा रह गयी? अतः महामुने ! आप सर्व समर्थ हैं अतः मेरे हृदय को संशयमुक्त कीजिए, संसार सागर के मोह से दूषित जल में गिरे हुए बार-बार डूबते उतरते हुए भुक्त अज्ञानी की अपने ज्ञान रूपी जहाज से रक्षा कीजिए ।

देवी भागवत पुराण हिंदी devi bhagwat in hindi

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.