श्रीमद् भागवत महापुराण की क्या महिमा है ? bhagwat puran ki mahima
श्रीमद् भागवत महापुराण की क्या महिमा है ?
यह श्रीमद् भागवत महापुराण की महिमा का वर्णन किया जाए तो कल्प के कल्प लग जाएंगे परंतु इसकी महिमा का वर्णन करना संभव नहीं है। श्रीमद् भागवत महापुराण को भगवान नारायण ने ब्रह्मा जी को सुनाया था।
जब ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना कर रहे थे उस समय ब्रह्मा जी ने माया को देखा तो भगवान से कहा प्रभु मैं इस माया में ना बंध जाऊं उस समय भगवान ने चतुश्लोकी भागवत सुनाया और कहा ब्रह्मा जी इस सृष्टि में मेरे अलावा और कोई है ही नहीं सर्व मैं ही हूं।
इसलिए आप सृष्टि करो परंतु आप हर प्राणी में मेरा भाव रखो। इस प्रकार भागवत महापुराण के उपदेश से ब्रह्मा जी को माया पर विजय की प्राप्ति हुई।
इस श्रीमद् भागवत महापुराण को कोई भी मन लगाकर मात्र एक बार भी श्रवण करेगा तो उसे बैकुंठ धाम की निश्चित प्राप्ति हो जावेगी।
हमारे सनातन धर्म में अनेकों शास्त्र पुराण वेद उपनिषद् आदि ग्रंथ है परंतु वे तो भ्रम उत्पन्न करने वाले हैं मुक्ति तो मात्र भागवत शास्त्र से ही होता है। यदि कोई व्यक्ति भागवत महापुराण को स्वर्ण के सिंहासन पर रखकर उसे दान करें तो उसे निश्चित ही गोलोक धाम की प्राप्ति होती है।
भागवत की महिमा केवल भागवत शास्त्र ही नहीं करती बल्कि अन्य शास्त्र भी इसकी महिमा का गुणगान करते हैं।
यह श्रीमद्भागवत महापुराण की रचना भगवान नारायण के कला अवतार श्री वेदव्यास जी ने किया। यह भागवत महापुराण लिखने से वेद व्यास जी का दुख दूर हो गया था। उन्हें पुत्र मोह का दुख तथा परंतु भागवत जी ने उनका दुख दूर कर दिया।
उनके पुत्र श्री सुखदेव मुनि ने इस भागवत महापुराण को राजा परीक्षित को सुनाया था जिससे राजा परीक्षित को मात्र 7 दिन की कथा से भगवत प्राप्ति हुई थी।
उसी समय सत्यलोक में तराजू से नापा गया एक तरफ भागवत शास्त्र और दूसरे पाले में अन्य सभी शास्त्रों को रखा गया परंतु भागवत जी का पल्ला ज्यादा भारी हुआ।
उस समय सत्य लोक में घोषणा कर दी गई की मुक्ति तो केवल भागवत शास्त्र से संभव है।
इसी श्रीमद् भागवत के श्रवण मात्र से धुंधकारी की सद्गति हुई थी भागवत महापुराण के श्रवण और मनन मात्र से धुंधकारी को मुक्ति की प्राप्ति हुई इसलिए हम लोगों को इस भागवत महापुराण की कथा का श्रवण करना चाहिए।
श्रीमद् भागवत महापुराण की महिमा: एक विस्तृत दृष्टिकोण
श्रीमद् भागवत महापुराण, हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और भक्ति के मार्ग का वर्णन करने के लिए जाना जाता है। यह ग्रंथ न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव डालता है। आइए श्रीमद् भागवत महापुराण की महिमा को विस्तार से समझते हैं:
1. भक्ति मार्ग का सर्वोच्च ग्रंथ:
- भक्ति का सार: भागवत पुराण भक्ति मार्ग का सबसे प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण को सर्वोच्च भगवान के रूप में चित्रित किया गया है और भक्ति के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है।
- भावुकता और प्रेम: यह ग्रंथ भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति को जगाने में अत्यंत प्रभावशाली है। इसकी भावुक और मार्मिक कथाएं भक्तों को भगवान के करीब लाती हैं।
2. जीवन दर्शन का मार्गदर्शन:
- जीवन के रहस्य: भागवत पुराण जीवन के रहस्यों को उजागर करता है। जन्म, मृत्यु, मोक्ष, कर्म और पुनर्जन्म जैसे विषयों पर गहन चर्चा की गई है।
- नैतिक मूल्य: यह ग्रंथ सत्य, अहिंसा, दया, करुणा और सेवा जैसे उच्च नैतिक मूल्यों को प्रोत्साहित करता है।
- समाज सुधार: भागवत पुराण समाज सुधार के लिए भी प्रेरित करता है। यह जातिवाद, छुआछूत और अन्य सामाजिक बुराइयों का विरोध करता है।
3. ज्ञान का भंडार:
- वेदों का सार: भागवत पुराण वेदों के ज्ञान का सार है। इसमें वेदों के दर्शन को सरल भाषा में समझाया गया है।
- दर्शन और दर्शनशास्त्र: यह ग्रंथ दर्शन और दर्शनशास्त्र के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाश डालता है।
4. मन की शांति और आध्यात्मिक विकास:
- मन की शांति: भागवत पुराण मन की शांति और आध्यात्मिक विकास का मार्ग दिखाता है। इसकी कथाएं मन को शांत करती हैं और आत्मा को शुद्ध करती हैं।
- मोक्ष का मार्ग: यह ग्रंथ मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग भी बताता है। मोक्ष का अर्थ है मोह, माया और कर्म बंधनों से मुक्ति।
5. साहित्यिक उत्कृष्टता:
- साहित्यिक मूल्य: भागवत पुराण एक उत्कृष्ट साहित्यिक कृति है। इसकी भाषा सरल और सहज है, फिर भी इसका गहरा अर्थ है।
- कथा वाचन का उत्कृष्ट उदाहरण: इसकी कथाएं इतनी रोचक और मार्मिक हैं कि वे पाठकों को बांधे रखती हैं।
संक्षेप में: श्रीमद् भागवत महापुराण एक ऐसा ग्रंथ है जो धर्म, दर्शन, साहित्य और जीवन के सभी पहलुओं को स्पर्श करता है। यह भक्ति, ज्ञान और कर्म के मार्ग को एक साथ जोड़ता है। यह ग्रंथ न केवल धार्मिक लोगों के लिए बल्कि सभी के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत है।