5 सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ Motivational story for Students in Hindi

 5 सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ Motivational story for Students in Hindi

5 सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ Motivational story for Students in Hindi

  • तप से भी बड़ा सत्संग है

एक बार मुनि विश्वामित्र और वशिष्ठ में वाद विवाद हुआ, विश्वामित्र कहते थे कि तप बड़ा है और वशिष्ठ जी कहते थे की सत्संग बड़ा है।

दोनों अपने-अपने तर्क वितर्क को लेकर शेष जी के पास गए और सारा विवाद बताकर कहे कि आप ही समाधान करें। शेष जी ने कहा कि तुम मेरे मही भार को धारण करो मैं न्याय करूं।

विश्वामित्र जी ने सारा तपस्या का बल लगा दिया पर वह मही के भार को उठा ना सके । तब फिर वशिष्ठ जी ने थोड़े से सत्संग के बल से पृथ्वी को उठा लिया और अंत में विश्वामित्र जी को शर्मिंदा होना पड़ा ।

इस कहानी से हमको यही शिक्षा मिलती है कि सतसंगत की महिमा छिपी हुई नहीं है यानी बहुत है। सत्संगति के प्रभाव से नारद तथा घटयोनि और व्यास जी ने महर्षि पद को प्राप्त किया ।

सत्संगति का ऐसा प्रभाव है की दुष्ट आदमी भी पूर्ण विद्वान बन सकता है।

 5 सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ Motivational story for Students in Hindi

  • पंडित जी का इंसाफ

किसी गांव में एक काश्तकार अति धनाढ्य था उसके तीन पुत्र थे, जब वह मर गया तो वह अपने पुत्रों से कह गया कि सारे धन-धान्य को तीनों भाई बराबर बराबर बांट लेना ।

परंतु घोड़े का हिस्सा इस तरह करना कि कुल का आधा बड़े को, कुल का तीसरा हिस्सा मझले को और कुल का नवां हिस्सा छोटे को मिले ।

उसके मरने के पश्चात तीनों भाइयों ने सारा धन बराबर किया परंतु सत्रह घोड़े बाकी रहे। अब बांट करने में झगड़ा होने लगा अंत में पंडित जी के पास गए ।

दूसरे दिन पंडित जी आये और कहा की यदि तुमको अपने हिस्से का कुछ अधिक मिल जाए तो प्रसन्न हो ग्रहण करोगे । तीनों ने स्वीकार किया।

फिर पंडित जी उन सत्रह घोड़े में एक अपना घोड़ा मिलकर अठारह कर दिए और कुल का आधा अर्थात नौ घोड़े बड़े लड़के को दिए। और कहा कि तुम्हारे हिस्से से ज्यादा है । फिर कुल का तीसरा भाग यानी छै घोड़े मझले बेटे को दिए और कुल का नवा भाग अर्थात दो घोड़े छोटे बेटे को मिल गए।

इस प्रकार सत्रह घोड़े बांट दिए और अठारहवाँ अपना घोड़ा अपने लिए बचा रहा । यह देखकर संपूर्ण नगर निवासी पंडित जी के न्याय की बड़ी बडाई करने लगे।

 5 सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ Motivational story for Students in Hindi

  • चंद्रगुप्त की बुद्धिमानी

किसी कवि का लेख है कि एक बार रूस के बादशाह ने राजा महानंद के पास एक बनावटी शेर लोहे की जाली के पिंजरे में रखकर भेजा और सर्त थी कि पिंजरा तो टूटे नहीं परंतु शेर निकल जाए ।

इसके निकालने की महानंद तथा उसके आठ पुत्रों ने महान कोशिश की परंतु बुद्धि ने काम नहीं किया और उसका कुछ फल न निकला।

इसके पश्चात चंद्रगुप्त मौर्य ने विचार किया कि यह सिंह किसी ऐसे पदार्थ का बना है जो सर्द या उष्णता से गल जाए। तब उसने पिंजरे को जल कुंड में रख दिया परंतु वह ना गला, फिर दोबारा उसने चारों ओर अग्नि जलाई उसकी गर्मी से सिंह गल कर बाहर निकल गया और चंद्रगुप्त मौर्य की बुद्धिमानी प्रकाशित हो गई।

  • चंद्रगुप्त की बुद्धिमानी

एक बार एक बादशाह ने राजा महानंद के पास एक अंगीठी में सिलगती हुई अग्नि भेजी और साथ ही साथ एक बोरा सरसों और एक मधुर फल भेजा।

परंतु महानंद के यहां उसके अर्थ को कोई ना जान सका , तब दासी पुत्र चंद्रगुप्त ने उस पर निर्णय किया और सबको समझाया कि यह अंगीठी धहकती हुई बादशाह के क्रोध को स्पष्ट जाहिर करती है और एक बोरा सरसों इस कारण भेजी है कि मेरी सेना असंख्य है और फल भेजने का भाव यह है कि मेरी मित्रता का फल मंजूर है।

चंद्रगुप्त ने इसके प्रति उत्तर में एक घड़ा जल, एक पिंजरा में कुछ तीतर और एक अमूल रत्न भेज । उसका आशय यह था कि तुम्हारे क्रोध रूपी अग्नि को बुझाने के लिए हमारी जल रूपी नीति है।

तुम्हारी असंख्य सेना को भक्षण करने के लिए हमारे तीतर रूपी योद्धा हैं और हमारी मित्रता के फल को अमूल रत्न जाहिर करता है कि वह सदैव एकरस और मधुर है । इस तरह चंद्रगुप्त की बुद्धिमानी जगत में जाहिर है।

 5 सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ Motivational story for Students in Hindi

  • कंजूस मनुष्य की कहानी

एक किसान एक दिन नारियल लेने के वास्ते शहर में गया और बाजार में जाकर दुकानदार से पूछा कि सेठ जी एक नारियल के कितने दाम हैं? दुकानदार ने एक नारियल की कीमत दो आने बतलाइए।

जब किसान ने कहा छै पैसे नहीं ले सकते हो? तो दुकानदार बोला कि आगे रास्ता मिलेगा । फिर वह किसान नारियल के वास्ते आगे की दुकानों पर बड़ा और दुकानदारों से पूछा कि एक नारियल की क्या कीमत है?

उसने छै पैसे मांगे, तब किस ने कहा चार पैसे ले लीजिए । दुकानदार ने कहा आगे मिल जाएंगे। वहां क्या था लोभ की चेष्टा में आगे नारियल का भाव चार पैसे मिले तो किसान बोला दो पैसे नहीं ले सकते हो ?

आगे बढ़ा उसका लोभ भी बढ़ता ही गया इतने में उसको आगे नारियल का वृक्ष दिखाई पड़ा । वह लोभ में आकर उस वृक्ष के पास गया उसी पेड़ के पास ही एक हुआ था।

ज्यों ही उसने नारियल पकड कर झटका दिया त्यों ही वह नारियल सहित कुएं में गिर पड़ा और वह मर गया ।इससे यह सार निकला की लालच कभी नहीं करना चाहिए। तुलसीदास जी ने भी इसकी बात कही है-

 काम क्रोध मद लोभ की जब लगि मन में खान। 
तब लगि पंडित मूरखौ तुलसी एक समान।।

 5 सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ Motivational story for Students in Hindi

  • लोभ की नाव डूबती है

एक तालाब के किनारे एक मेंढक पड़ा हुआ था वहां पर एक कौवा आया और उस मेंढक को उठा ले गया।

वहां से उड़कर वह एक नीम के पेड़ पर जा बैठा , मेंढक ने कहा कि लोभ की नाव डूबती है । इस बात को तुम याद रखना ।

यह सुनकर कौवे ने कहा मैं अब तुमको खाता हूं। तब मेंढक ने कहा नीचे कुएं पर चलो क्योंकि मैं उसमें गोता लगा लूंगा जिससे मेरे बदन की मिट्टी धुल जाएगी और तुम अपनी चोच को पत्थर से पैनी करलो ताकि तुम बहुत ही जल्दी खा सकोगे।

मेरे उदर के अंदर एक अमृत की थैली है जिसको खाकर आप अमर हो जाओगे। परंतु जब तक मेरे बदन से मिट्टी नहीं धूलेगी तब तक वह थैली आपको नहीं मिल सकती।

कौवे को यह बात पसंद आ गई और मेंढक को कुएं पर छोड़ दिया और आप पत्थर पर चोच घिसने लग गया । इतने में मेंढक पानी में चला गया और मेंढक ने कौवे से कहा कि हमने तुमसे पहले ही कहा था कि लोभ की नाव डूबती है। परंतु तुमने कोई ध्यान ना दिया, कौवा लज्जित हो वहां से उड़ गया।

 5 सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ Motivational story for Students in Hindi

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.