महिलाओं को मासिक धर्म क्यों होता है ? पौराणिक कथा masik dharm kyon hote hain
महिलाओं को मासिक धर्म क्यों होता है इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जो देवराज इंद्र से संबंधित है
श्रीमद्भागवत् महापुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार एक बार त्रिलोकी के ऐश्वर्या को प्राप्त कर इंद्र मदोन्मत्त हो गया वह अपनी पत्नी सची और देवताओं के साथ सभा में अप्सराओं का नृत्य देख रहा था । उसी समय देवगुरु बृहस्पति वहां आये इंद्र ने उन्हें देखकर भी अनदेखा कर दिया।
विष्णु पुराण में कहा गया है-
ब्राह्मणं ज्ञानसम्पन्नं विष्णोर्भक्तं महात्मनः।
आयान्तं वीक्ष्यनोतिष्ठेत् सादुःखैः परिभूयते।।
ब्राह्मण, विद्वान,भगवान के भक्त और संत महात्माओं को आया देख जो खड़ा नहीं होता उनका सम्मान नहीं करता करता है वह दुख को प्राप्त करता है।
इंद्र ने ना तो आसान दिया ना ही उनके सामान में खड़ा हुआ जिससे गुरुदेव बृहस्पति रुष्ट हो गए और वहां से अंतर्ध्यान हो गए उन्होने देवलोक का त्याग कर दिया था, सभा के पूर्ण होने पर इंद्र को पश्चाताप हुआ वह देवताओं के साथ गुरुदेव की कुटिया में आया और गुरु बृहस्पति को कुटिया में न देख अपने आप को धिक्कारने लगा ।
असुरो को जब इस बात का पता चला तो इसी बात का फायदा उठाकर देवताओं पर आक्रमण कर दिया उन्हें परास्त कर स्वर्ग छीन लिया इंद्रदेव को अपनी गद्दी छोड़कर भागना पड़ा।
देवता हरे थके सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा जी की शरण में गए और उनसे मदद मांगने लगे तब ब्रह्मा जी ने कहा तुमने ऐश्वर्य के मद में अंधे होकर देवगुरु बृहस्पति की अवहेलना कर अच्छा नहीं किया।
क्योंकि जो ब्राह्मण,गाय और गोविंदा की आराधना करता है उसका कभी अमंगल नहीं होता इसलिए तुम लोग त्वष्टा के पुत्र विश्वरूप को अपना आचार्य बना लो यदि तुम उनके असुरोचित प्रेम को क्षमा कर सको तभी वे तुम्हारा राज्य पुनः प्राप्त कर देंगे तभी गुरु वृहस्पति की नाराजगी दूर होगी।
महिलाओं को मासिक धर्म क्यों होता है ? पौराणिक कथा masik dharm kyon hote hain
ब्रह्मदेव के बताये अनुसार इंद्रदेव ने विश्वरूप के पास गए और उन्हें अपना गुरु बनाया लेकिन इंद्रदेव इस बात से अनजान थे कि विश्वरूप की माता एक असुर थी इसलिए उसके मन में असुरो के लिए विशेष स्थान था।
इंद्रदेव द्वारा अर्पित की गई सारी हवन सामग्री जो देवताओं को चढ़ाए जा रही थी, उसे वह असुरो को चढ़ा रहा था।
जिससे इंद्र की सारी सेवा भंग हो रही थी इसके बारे में इंद्र पहले कुछ ना जान सका, एक दिन इंद्रदेव ने देखा विश्वरूप प्रत्यक्षरूप से देवताओं को आहुति देते हैं,परंतु लुक छुपकर अप्रत्यक्ष रूप से असुरो को आहुति दे रहे हैं।
यह देख इंद्र को बहुत क्रोध आ गया क्रोध से आग बबूला हो उठा और बिना सोचे समझे उन्होंने विश्व रूप का वध कर दिया क्योंकि देवराज इंद्र ने विश्वरूप को अपना गुरु माना था जिस कारण इंद्रदेव पर ब्रह्म हत्या का पाप लग गया।
यह पाप एक भयानक राक्षस के रूप में इंद्रदेव का पीछा करने लगा इससे बचने के लिए किसी तरह इंद्रदेव ने खुद को फूलों के अंदर छुपाए और एक लाख साल तक भगवान विष्णु की तपस्या की।
जिसके लिए इंद्रदेव ने पेड़, जल, भूमि और स्त्री से विशेष निवेदन किया फिर उनसे आग्रह पर सब राजी हो गए और बदले में कुछ वरदान देने को कहा।
सबसे पहले पेड़ ने उस पाप का एक चौथाई हिस्सा ले लिया वृक्ष में गोंद के रूप में ब्रह्महत्या दिखाई देती है वृक्ष को वरदान दिया कि तुम्हारा जड़ मूल भाग शेष है तो कोई तुम्हें कितना भी काटे तुम स्वयं अपने को जीवित कर सकते हो पुनः हरे भरे हो जाओगे।
इसके बाद जल को अपने पाप का हिस्सा देने पर जल में फेन के रूप में ब्रह्महत्या दिखाई देती है जल को वरदान दिया झरनों और नदियों के रूप में तुम्हारी वृद्धि होती रहेगी तुम जीवो को तृप्त करने वाली हो।
इंद्रदेव ने दूसरों को पवित्र करने की शक्ति प्रदान की यही कारण है कि हिंदू धर्म में आज भी जल को पवित्र मानते हुए पूजा पाठ में इस्तेमाल किया जाता है
इसके बाद अपने पाप का तीसरा अंश इंद्रदेव ने भूमि को दिया पृथ्वी में ऊसर भूमि के रूप में ब्रम्हहत्या दिखाई देती है वरदान स्वरुप उन्होंने भूमि से कहा मनुष्य द्वारा भूमि की हानि करने पर भूमि की आंतरिक रूप से कोई क्षति नहीं होगी कोई कितने भी गड्ढे कर दे वह समय के हिसाब से अपने आप भर जायेगे बल्कि उसका परिणाम मनुष्य स्वयं भोगेंगे।
अब आखरी बारी स्त्री की थी इस कथा के अनुसार स्त्रियो में मासिक धर्म के रूप में ब्रम्हहत्या दिखाई देती है, इसके बदले में महिलाओं को वरदान देते हुए कहा कि महिलाएं सहनशक्ति की मूरत होगी।
उनके अंदर पुरुषों से कहीं गुना ज्यादा दर्द व कठोर बातें सहने की क्षमता होगी काम का आनंद भी अधिक उठाएंगी मासिक धर्म के पश्चात भी तुम्हारे शरीर का ह्रास नहीं होगा अपितु कामनाओ की वृद्धि होगी।