भागवत कहां सिखाई जाती है bhagwat katha kaise sikhe
कक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी:-प्रत्येक विषय कथा जिसमें विधिवत पाठ्यक्रम की पद्धति निहित है।
श्री भागवत जी के पाठ्यक्रम में आपको भागवत पुराण के श्लोकों, दृष्टांतों, भजनों, छंदों, चौपाई एवं सोरठों का अध्ययन कराया जाता है।
श्री शिवमहापुराण कथा के पाठ्यक्रम में आपको श्री शिवमहापुराण की विस्तृत ज्ञान प्रदान कराया जाता है, यह सत्र सात महीने का है।
देवी भागवत के पाठ्यक्रम में आपको देवी भागवत पुराण की कथा का अध्ययन कराया जाता है यह सत्र सात महीने का है।
श्री राम कथा पाठ्यक्रम में आपको नौ दिवसीय श्री राम कथा की विधिवत तैयारी कराई जाती है। यह सत्र सात महीने का है।
हमारे गुरुजी कर्म कांड की कक्षा में पूजा पद्धति विधि वह मंत्र, दुर्गा सप्तशती, रुद्राष्टाध्यायी, ग्रह शांति पूजा पद्धति व समस्त पूजन इत्यादि की तैयारी विधिवत शिक्षा भी प्रदान करते हैं कर्म कांड यह सत्र पांच महीने का है।
न्यूनतम शुल्क में बहुत उत्तम शिक्षा घर बैठे प्राप्त करने का यह सर्वश्रेष्ठ अवसर है जिसका आप सभी भरपूर लाभ अवश्य ही प्राप्त करें।
मूलपाठ की कक्षा का समय सायं 6:00 से लेकर 7:00 तक का है । जैसे:- श्री भागवत जी में 18000 श्लोक है तो प्रत्येक दिवस मूल पाठ कक्षा में श्री भागवत जी के 1 से 2 अध्याय का शुद्धता से उच्चारण कराया जाता है, सर्वप्रथम गुरुजी स्वयं एक बार उच्चारण करते हैं तत्पश्चात पीछे से छात्र-छात्राओं से उच्चारण कराया जाता है।
जिसमें 5 या 10 श्लोक का क्रम होता है एक विधार्थी के साथ गुरुजी उच्चारण करते है पुनः वही श्लोक का विद्यार्थी करते है यही प्रक्रिया से अभ्यास कराया जाता है।
जितने भी विधार्थी होते है सभी को बारी- बारी से उच्चारण करने का बोलने का अवसर प्राप्त होता है।
तथा समय समय पर गुरुजी की अनुमति आज्ञा अनुसार समय - समय पर टेस्ट भी लिया जाता है जिसमें सभी विधार्थी से बारी बारी से श्लोक पढ़कर बोलकर गुरुजी को सुनाया जाता है।
जिससे अशुद्धता शुद्धता सही उच्चारण का पता चलता है, तथा इस प्रशिक्षण में जिनका भी शुद्धता लय के साथ उच्चारण होता है उन विद्यार्थी को उनकी योग्यता के अनुसार गुरुजी अंक प्रदान करते है।
मूल पाठ उच्चारण के अद्भुत लाभ तो बहुत है उनका वर्णन करना संभव नहीं है किंतु कुछ महत्वपूर्ण लाभ अपने शब्दों में अपने अनुभव के द्वारा व्यक्त कर रही हूं मैं श्री मद्भागवतम् कहे या भागवतम् महत्वपूर्ण वर्ण्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्री कृष्ण जी को समस्त देवों के देव की तरह ही माना गया है जो सत्य शास्वत् है, श्री मद्भागवत महापुराण में रस भाव की पावन भक्ति का निरूपण किया गया है।
श्री मद्भागवत जी के यह चार शब्द से श्री भागवत जी का सुंदर भाव प्रकट होता है जो यदि जीवन में सम्मिलित हो जाए तो जीवन धन्य सार्थक बन जाए।
भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य, तथा त से त्याग, अर्थात्:- श्री भागवत कथा के श्रवण से मनुष्य में भगवान के प्रति भक्ति का भाव स्वतः ही उत्पन्न हो जाता है, श्रवण के पश्चात् उस व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति भी हो जाती है, ज्ञान प्राप्ति के उपरांत वैराग्य का आगमन होता है एवं अंत में एक ऐसी स्थिति आती है कि त्याग अर्थात् परमात्मा के प्रति समर्पण की भावना जाग्रत होकर सुंदर भाव उत्पन्न होते है।
भागवत कहां सिखाई जाती है bhagwat katha kaise sikhe
जो भगवान भक्त के संबंध को मजबूत बनाता है, इतना की माया का कोई भी प्रभाव उसे प्रभावित नहीं करता अपितु मायापति का ही प्रभाव उस भक्त को भगवान के और समीप ले आता है, जहां भक्त भगवान से भिन्न नहीं अपितु एक ही हो जाते है।
भगवान स्वयं भक्त के हृदय में विराजमान हो जाते है, श्री भागवत जी की अनंत लीलाएं है उनकी महिमा अपरम्पार है।
श्री मद्भागवत जी के कथा श्रवण तथा स्मरण मात्र से हमारे समस्त विकार पाप नष्ट होते है तथा अनंत पुण्यों की प्राप्ति सहज में होती है।
यह पावन कथा वह दिव्य कथा है जिससे श्रवण करने के लिए देवी देवता भी सदैव व्याकुल हो तरसते रहते हैं । इस झाकी में सदैव तत्पर रहते है कि कब कथा का रसास्वादन शुभ अवसर हमें प्राप्त हो, एवं जहां भी कथा हो वहां समस्त देवी देवता ऋषि मुनि गण संत तपस्वी तीर्थ समस्त गंगा आदि नदिया वहां विद्यमान हो जाते है।
मूल पाठ से हमारे पूर्वजों पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है वह प्रसन्न संतुष्ट तृप्त हो जाते है तथा पितृ दोष दूर होता है। क्योंकि यह उनके मोक्ष का अत्यंत महत्वपूर्ण पुण्य सेवा कार्य भी है जो उन्हें स्वतः ही प्राप्त हो जाता है।
भागवत कहां सिखाई जाती है bhagwat katha kaise sikhe
पितरों के दर्शन प्राप्त होने लगते है या यह कहो कि पितृ देवता हमें आशीर्वाद प्रदान करते है कि हमारे कुल में भगवान की कल्याणमय कथा का पाठ किया जा रहा है अब निश्चित ही हमारा उद्धार होने वाला है।
भगवान की कथा मूल पाठ का उच्चारण आत्मशांति के लिए यह प्रभु का हमारे लिए दिव्य वरदान भी है, श्री मद्भागवत कथा से समस्त दोषों का स्वतः ही नाश होना निश्चित हो जाता है, मूल पाठ के अनेक महत्व रहस्य मय अनुभव है।
मेरा विश्वास कीजिए यदि सच्चे मन से मूल पाठ का उच्चारण किया जाए तो मन, वचन, कर्म के साथ साथ घर परिवार आस पास के समस्त वातावरण में प्रसन्नता, शांति, सुख, समृद्धि की अलौकिक प्राप्ति होती है, तथा समस्त कष्टों का निदान होता है।
अध्ययन करते करते बहुत से सुंदर अनुभव प्राप्त होते है, ऐसी कृपा प्राप्त होती है, जिन्हें तो केवल अनुभव ही किया जा सकता है वर्णन नहीं,हमें यह अवसर लाभ प्राप्त करने का सौभाग्य श्री प्रभु कृपा गुरुदेव जी की कृपा से बड़ी ही सहजता से प्राप्त हो गया है।
श्री भागवत मूल पाठ उच्चारण करते करते अशुद्धता उच्चारण करने में सुधार होता है एवं उच्चारण में धीरे धीरे शुद्धता आ जाती है। एक समय ऐसा आता है कि शुद्ध लय के साथ उच्चारण होने लगता है।
श्लोक से किसी भी प्रकार का भय नहीं लगता कि संस्कृत में श्लोक कैसे बोले कैसे समझे, श्लोक समझना एवं बोलना बहुत सरल हो जाता है हमारे आचार्य गुरुदेव जी ने कहा है यदि आपने मूल पाठ का अध्ययन सिख लिया अच्छे से उच्चारण कर लिया तो आप संसार के कोई भी शास्त्र हो पुराण या ग्रन्थ हो श्लोक हो संस्कृत में आप स्वयं पढ़ पाएंगें और बहुत अच्छे से पढ़ पाएंगे।
श्री गुरुजी की कृपा से संस्कृत जिसका अर्थ संस्कारित की गई अर्थात् परिवर्तन जब लाती है धीरे धीरे ही सही उत्तम सुधार के साथ शुद्ध उच्चारण द्वारा हमारा संस्कार बन जाती है,जो यही बताती है यही दर्शाती है मुझे कि प्राचीन देवनागरी देवो की वाणी देव वाणी श्री गुरुदेव जी की कृपा से मेरी वाणी में अब आई है।
भागवत कहां सिखाई जाती है bhagwat katha kaise sikhe
श्री भागवत जी श्री गुरुदेव जी के श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम इसका संपूर्ण श्रेय उन्हीं के श्री चरणों में समर्पित श्री मद्भागवत महापुराण साप्ताहिक कथानक की तैयारी में आवश्यक है।
में गुरुजी PDF, श्लोक रेकॉर्डिंग कक्षा ग्रुप में भेजते है जिसमें pdf नोट्स को कॉपी में गुरुजी के बताए अनुसार लिखने होते है । जिसमें आपको सूचना प्राप्त होती है कि आपको सर्वप्रथम एक डायरी बनाकर के उस डायरी में लिखने की सम्पूर्ण जानकारी दी जाती है।
लिखने के पश्चात् फोटो वाट्सएप ग्रुप में भेजा जाता है जिसे चेक किया जाता है आपने कैसे लिखा है,पीडीएफ को गुरुजी के मार्गदर्शन पर लिखा जाता है जिसे लिखने के पश्चात् चेक कराया जाता है।
लिखने के अद्भुत लाभ यह भी होते है कि स्वयं के हाथ से लिखा हुआ हमारी स्मरण शक्ति में समाहित विद्यमान होता है, समझ आता है साथ ही स्मरण रहता है।
लिखने से हमारा ध्यान केंद्रित होता है, लेखनी के प्रत्येक वाक्य पर जब हमारी दृष्टि सामने लिखित शब्द प्रवेश होते हुए सीधे मस्तिष्क नेत्र के साथ साथ मन हृदय अंतर्मन तक भ्रमण करते हैं सोच विचार में गहरा चिंतन मनन स्वतः ही होने लगता है।
कथा समझना सहज हो जाता है और उससे अधिक सहज तब हो जाता है जब श्री आचार्य गुरुदेव जी हमें स्वयं अपने ओजस्वी मधुर वाणी से कथा प्रसंग श्रवण कराते है जब हम गुरुजी से अध्ययन प्राप्त करते है।