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गुरुवार, 4 जुलाई 2024

भागवत कैसे सीखे- भागवत कथा प्रशिक्षण bhagwat katha kaise sikhe

भागवत कैसे सीखे- भागवत कथा प्रशिक्षण bhagwat katha kaise sikhe

भागवत कैसे सीखे- भागवत कथा प्रशिक्षण bhagwat katha kaise sikhe

हमारे आचार्य गुरुजी कहते है सौ बार कहा हुआ और एक बार लिखा हुआ सदैव स्मरण रहता है फिर हम उसे कभी भूलते नहीं हैं। इसलिए उत्तम शिक्षा के लिए पढ़ने के साथ लिखना भी अति आवश्यक है।


श्लोक की जो रेकॉर्डिंग कक्षा ग्रुप में गुरुजी भेजते है उन श्लोकों को सुनकर लिखे हुए श्लोक को बोलने का अभ्यास करना होता है जिससे श्लोक समझने बोलने एवं याद करने में आसानी होती है।

श्री भागवत जी की कक्षा का समय सायं 7:31से रात्रि 9 बजे तक है। श्री शिवमहापुराण की कक्षा का समय रात्रि 9 बजे से 10 बजे तक है। जिसमें गुरुजी कथा प्रसंग प्रवचन करते है, समस्त विधार्थी तथा youtube के द्वारा सभी भगवत प्रेमी श्रवण करते है।

कथा प्रवचन के पश्चात् गुरुजी जितने भी विधार्थी  कक्षा में उपस्थित होते है उनसें बारी - बारी से श्लोक बोलने के लिए कहते हैं। सभी विधार्थी क्रम अनुसार याद किए हुए श्लोक गुरुजी को सुनाते है।

तत्पश्चात जो विद्यार्थी होते है उनमें से जिनका वक्तव्य होता है उन्हें अपना कथा वक्तव्य प्रस्तुत करना होता है जिसमें भजन कीर्तन सम्मिलित होते है,गुरुजी समय समय प्रशिक्षण ग्रुप में श्री भागवत प्रवचन अनुक्रमाणिका सूची भेजते है जिसमें समस्त छात्र छात्राओं का नाम अंकित होता है ।

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उनका नाम आने पर उन्हें अपना तैयार किया कथा प्रसंग प्रवचन सुनाना होता है।  वक्तव्य में यदि किसी भी प्रकार की कोई कमी हो त्रुटि हो तो उस पर विशेष प्रकाश डाला जाता है गुरुजी स्वयं उसमें सुधार करने प्रेरणा मार्गदर्शन प्रदान करते है।


उदाहरण जैसे:- कि व्यास वक्ता स्वरूप कैसे हो धार्मिक मर्यादित वस्त्रों का उचित चयन, मस्तक पर तिलक सुसज्जित हो ! व्यास वक्ता को बोलना कैसे है? बैठना कैसे है?

व्यास वक्ता की छोटी बड़ी समस्त गतिविधियों पर विशेष दृष्टि गुरुजी की होती हैं साथ ही  तथा आदरणीय डाक्टर हरिदत्त शर्मा अंकल जी, आदरणीय गणेश झा अंकल जी तथा आदरणीय त्रिलोकी नाथ जी अपने प्रेरणादायक कल्याणकारी अमृततुल्य वचनों द्वारा विधार्थी को उत्तम ज्ञान तथा मार्गदर्शन भी प्रदान करते है उनके  प्रोत्साहन मनोबल को बढ़ाते है।


वक्तव्य में उपस्थित समस्त विद्यार्थी भी वक्तव्य में अपने भाव लिखित रूप से तथा वक्तव्य विश्राम होने पर बोलकर प्रशंसीय वचन के द्वारा भाव समर्पित करते है, वक्तव्य से विधार्थियों की भी बहुत सी विधा शिक्षा का ज्ञान प्राप्त होता है जो प्रत्येक जुड़े विधार्थी के लिए व्यास वक्ता बनने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करता है।


वक्तव्य की तैयारी कर वक्तव्य प्रस्तुत करने से शर्म, घबराहट, भय, आदि संदेह दूर हो जाते है, कथा बोलने वाले वक्ता के लिए वक्तव्य अभ्यास अति महत्वपूर्ण लाभकारी है।

क्योंकि नए वक्ता के लिए ऐसे बहुत से प्रश्न स्वयं से होते है जो वो प्राप्त करना चाहता है उसके प्रत्येक प्रश्नों के उत्तर उसे केवल श्री गुरुदेव जी कृपा से ही प्राप्त हो सकते है स्वयं से वो कुछ नहीं जान सकता है यह सत्य है।


वक्तव्य देने से सुधार होता है वक्तव्य देते रहने से बोलने की कला में भी निखार होता जाता है तथा आत्मविश्वास बढ़ता जाता है। वक्तव्य देने से बोलने से जो प्रथम बार घबरा जाता है वही वक्ता वक्तव्य के बाद में बोलने में निर्भय पूर्ण रूप से निडर हो जाता है, उसके मन में बार बार वक्तव्य देने की अभिलाषा प्रकट होती है।


वो व्यास वक्ता आत्मविश्वास प्रसन्नता आनंद से प्रफुल्लित हो जाता है तथा प्रभु कथा भजन कीर्तन में भाव विभोर हो तन्मय होने लगता है।

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समस्त व्यास वक्ता के गुण उसमें सम्मिलित हो दृष्टिगोचर होने लगते है। श्री गुरुजी की कृपा से प्रभु कथा के लिए सर्व गुण संपन्न हो जाता है।

और एक समय ऐसा आता है कि विधार्थी व्यास वक्ता से कुशल वक्ता प्रवक्ता बन जाता है।

तब श्री गुरुदेव जी की आज्ञा अनुमति मार्गदर्शन शिक्षा दीक्षा प्राप्ति पश्चात् कथा व्यास वक्ता की भगवत यात्रा का वो सुंदर क्षण जब वह कथा स्थली के पावन क्षेत्र में पहुंचकर व्यास पीठ में बैठ जाता है, भगवान की कथा से सबको प्रसन्न आनंददित कर प्रभु के श्री चरणों में ध्यान लगाने वाला हरि की कथा सुनाने वाला तथा प्रभु की प्राप्ति करने कराने वाला प्रभु का प्रिय बन जाता है।


श्री गुरुदेव जी के प्रदान किए ज्ञान के साथ उसे गुरु एवं गोविंद दोनों का ही बल तथा स्नेह प्रेम आर्शीवाद प्राप्त होता है। प्रभु कृपा के साथ कथा में प्रवक्ता प्रवीण हो सदैव गुरुदेव भगवान की अलौकिक  कृपा प्राप्त करता है।


गुरुजी ने बहुत कम और उत्तम सुंदर शब्दों में हमारी विधा शिक्षा को सरल बनाकर हमारे सन्मुख प्रस्तुत किया है। उदाहरण जैसे:- पिता कठिन परिश्रम करके अपनी संतान तथा घर परिवार के लिए कमाई कर के सर्व सुख अपनी संतान के लिए समर्पित कर देता है।


जैसे हमारी माता जी हमारे लिए स्वादिष्ट भोजन तैयार कर बना हुआ भोजन प्रसादी हमारे लिए थाली में परोस दे और हम बड़े प्रेम से पाएं।

जैसे घर में बड़े बुजर्ग दादाजी दादी जी अपने पोता पोती तथा नाना जी नानी जी अपने नाती नातिन की उंगली पकड़कर उन्हें चलाते हो, उन्हें घूमाते हो, कथा कहानी वार्ता सुनाते हो।

जैसे संत गुरुदेव भगवान सत्संग कथा ज्ञान से हमारे जीवन के अज्ञानता रूपी अंधकार को दूर कर ज्ञान रूपी प्रकाश से जीवन में उजाला करते है  तथा हमारे जीवन को संवारते है।

हमारे आचार्य गुरुदेव जी ने कठिन परिश्रम, निष्ठा समर्पण के साथ हमारी शिक्षा को इतना सरल सहज बना कर यह भगवत रुपी प्रसाद हमें प्रदान किया है जिसे जब हम पाएंगे तो हमारा निश्चित ही कल्याण हो जाएगा।

 हमारे गुरुदेव जी ने हमें इस योग्य बनाया है कि यह भगवत रुपी प्रसाद हम सभी को वितरण करें जिसे वे सभी भगवत रुपी प्रसाद ग्रहण करने वाले जन जन का भी कल्याण हो जाए, समस्त संसार पर प्रभु की कृपा दृष्टि बनी रहें।


ज्ञान, भक्ति, कर्म, योग, ध्यान, शिक्षा, दीक्षा, भगवन नाम जप, भजन कीर्तन श्रवण मनन चिंतन तथा श्रद्धा, प्रेम, विश्वास, सेवा, समर्पण, कर्तव्य, परोपकार की सुंदर भावना जाग्रत कर उत्तम श्रेष्ठ कर्म के अनुसार धर्म से जीवन व्यतीत करना सिखाते है।

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हमारे गुरुजी के पढ़ाने की जो विशेषता है उनका मैं क्या वर्णन करूं भला इतना ही कहना चाहूंगी हमारे गुरुजी जो भी विषय पढ़ाते है वो बड़ी ही सरलता से समझ में आ जाता है एवं निश्चित ही शिष्य का कल्याण हो जाता है।

इतने सरल तरह से विधा का प्राप्त होना यह तो जब स्कूल में हम पढ़ते थे तब भी हमें इस तरह की शिक्षा नहीं प्राप्त होती थी,मेरे मन में बार बार यही विचार आता है कि काश गुरुजी जैसे गुरु एवं गुरुकुल  विधालय बचपन में स्कूल के समय मिल जाता तो जीवन का अमूल्य समय जो व्यर्थ बीत चुका वो कितना सुंदर होता, जीवन ही संवर जाता।

वो बालक बालिकाएं अति भाग्यशाली है जो छोटी उम्र से ही विधालय से जुड़ कर गुरुजी से शिक्षा प्राप्त कर रहें है, वह माता पिता धन्य है जो अपनी संतान को इतनी उत्तम उच्च शिक्षा प्रदान करा रहे है, नई पीढ़ी को हमारी ऋषि परम्परा से अवगत करा रहे है।

ऐसे संस्कार से संतान के जीवन को भविष्य को संवारना यह संतान के लिए ही नहीं अपितु घर परिवार कुटुंब एवं समस्त संसार के लिए दिव्य वरदान है जो अति कल्याणकारी है।

इसलिए समस्त संतान को विद्यालय की महत्वपूर्ण शिक्षा भी प्राप्त होना अति आवश्यक है अपनी संतान को संस्कृत एवं संस्कृति एवं उत्तम संस्कार से सुसज्जित करने के लिए उनके भविष्य को संवारने के लिए श्री राम देशिक प्रशिक्षण विधालय गुरुकुल लेकर आया है वैदिक सनातन कोर्स:- जिसमें आपके बच्चों को वेद शास्त्र पुराण एवं धर्म ग्रंथों का परिचय कराया जाता है।

साथ ही उन्हें विभिन्न देवी देवताओं के ध्यान मंत्र, प्रार्थना, मंत्र स्त्रोत पाठ, गीता, नीति श्लोक, पौराणिक कथाओं का ज्ञान भी प्राप्त  कराया जाता है।

अपनी संतानों को वेद शास्त्र, धर्म ग्रन्थ का ज्ञान प्राप्त कराने के लिए श्री राम देशिक प्रशिक्षण विधालय गुरुकुल से उत्तम स्थान कही प्राप्त हो नहीं सकता है।

इसलिए बिना विलंब किए अपने बच्चों को आदर्श महापुरुषों के जीवन चरित्र के माध्यम से उनके उत्तम चरित्र का भी निर्माण अवश्य प्राप्त कराए।

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ऐसी शिक्षा ऐसा ज्ञान जो उन्हें किसी भी अन्य स्कूल में प्राप्त नहीं हो सकता, वह बड़ी ही सरलता से श्री राम देशिक प्रशिक्षण विधालय गुरुकुल आदर्श के रूप में विद्यमान है जहां यह समस्त ज्ञान प्राप्त हो जाएगा।

बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए विश्व कल्याण के लिए एक कदम श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र विधालय गुरुकुल की और बढ़ाए प्रवेश पाए विधालय से जुड़े एवं सभी को जोड़े एवं परिवर्तन आप सभी पाए।

श्री गुरुजी के पावन श्री चरणों में मेरा कोटि कोटि प्रणाम चरण स्पर्श वंदना