रामकथा में नाम एवं सगुण नामी के गुणों का वर्णन
राम कथा बुद्धिमान ज्ञानियों को विश्राम एवं सब भक्तों को आनन्द तथा कलियुग के पापों को नष्ट करने वाली है । यह कलियुग रूपी सर्प को मारने के लिए मोरनी और विवेक रूपी अग्नि को प्रगट करने के लिए अरनी है ।
यह कलियुग में सब भक्तों के मनोरथों को पूर्ण करने के लिए कामधेनु के समान और संत जनों के लिए सुन्दर संजीवनी बूटी है। पृथ्वी पर यही अमृत की गंगा है और जन्म-मरण के भय को नष्ट करके भ्रम रूपी मेंढकों को खाने वाली सर्पनी के समान है ।
असुरों को एवं नरक को नष्ट करने में राम कथा सेना के समान है । और साधु समाज रूपी भक्तों के कुल का हित करनेके लिए पार्वती के समान है। संत समाज के लिये दूध के समुद्र के समान लक्ष्मी जैसी है और विश्व का भार उठाने पृथ्वी के समान है।
असुरों को एवं नरक को नष्ट करने में राम कथा सेना के समान है । और साधु समाज रूपी भक्तों के कुल का हित करनेके लिए पार्वती के समान है। संत समाज के लिये दूध के समुद्र के समान लक्ष्मी जैसी है और विश्व का भार उठाने पृथ्वी के समान है।
यह नाम के गुणों की गाथा सभी सिद्धि, सुख और सम्पति को उत्पन्न करने के लिए शिव-पार्वती के समान है । सद्गुणी भगवद् भक्तों के लिये भगवान विष्णु की माता जगदम्बा - जगजननी के समान माता है । प्रभु के प्रेम भक्ति और विश्वास की सीमा का छोर अर्थात् अंतिम लक्ष्य है ।
राम कथा-मंदाकिनि रूपी हृदया स्थित दिव्य गंगा है और चित्रकूट रूपी तुलसीदास जी का सुन्दर चित है जिसमें सुंदर सुहावना वन ही तुलसीदास जी का प्रेम है । जिसमें सीता और राम रूपी हंस नाम के दो अक्षर भवानी और शंकर के रूप में विहार करते हैं ।
रामगुण- राम नाम सुन्दर चिन्तामणि प्रकाश युक्त है जो सन्तों की सद्बुद्धि रूपी स्त्री का सुन्दर सिंगार है । नाम के दो अक्षर जो जगत के मंगल के हेतु, भक्ति, धन, धर्म और परमधाम के दाता हैं ।
राम कथा-मंदाकिनि रूपी हृदया स्थित दिव्य गंगा है और चित्रकूट रूपी तुलसीदास जी का सुन्दर चित है जिसमें सुंदर सुहावना वन ही तुलसीदास जी का प्रेम है । जिसमें सीता और राम रूपी हंस नाम के दो अक्षर भवानी और शंकर के रूप में विहार करते हैं ।
रामगुण- राम नाम सुन्दर चिन्तामणि प्रकाश युक्त है जो सन्तों की सद्बुद्धि रूपी स्त्री का सुन्दर सिंगार है । नाम के दो अक्षर जो जगत के मंगल के हेतु, भक्ति, धन, धर्म और परमधाम के दाता हैं ।
मुक्ति के देने वाले ज्ञान, वैराग्य और योग के सद्गुरू हैं वे संसार के भंयकर रोगों का नाश करने के लिए बुद्धिमान वैद्यों के समान हैं। वे दोनों अक्षर सीता राम रूपी लक्ष्मी-विष्णु के माता-पिता - हंस एवं आदि शक्ति, भवानी - शंकर के समान हैं, जो सम्पूर्ण व्रत नेम और धर्म के बीज 1
पाप संताप और शोक को हरने वाले सद्गुरू इस लोक और परलोक के पालक सब के प्यारे हैं। वे विचार रूपी राजा के लिए बलवान मंत्री के समान हैं। लोभ रूपी समुद्र को सोखने के लिए अगस्तमुनि के समान हैं ।
पाप संताप और शोक को हरने वाले सद्गुरू इस लोक और परलोक के पालक सब के प्यारे हैं। वे विचार रूपी राजा के लिए बलवान मंत्री के समान हैं। लोभ रूपी समुद्र को सोखने के लिए अगस्तमुनि के समान हैं ।
भक्तजनों के मन रूपी वन के काम क्रोध एवं कलियुग रूपी हाथी को मारने के लिये शेर के बच्चों के समान हैं। वे राम और गुण रूपी राम और सीता जैसे लक्ष्मी-नारायण दोनों शिव जी के परम पूज्य और परम प्यारे अतिथि हैं । वे दरिद्रता रूपी अग्नि के लिये बादल और इच्छानुसार फलों के दाता हैं ।
बुरे मार्ग पर चलने वाले कुतर्की, कपटी, दंभी और पाखंडी रूपी कलियुग को जलाने के लिए दोनों अक्षर नाम व रूप ईन्धन और अग्नि के समान हैं। जो कलियुग को नष्ट कर देंगे ।
विषयरूपी सर्प का विष उतारने के लिए महामंत्र, मणि के समान हैं जो ललाट में लिखे कठिन से कठिन बुरे लेखों को मिटा देते हैं । अज्ञान रूपी अंधकार को हरण करने के लिए सूर्य और उसकी किरणों के समान तथा सेवक रूपी धान के पालन करने के लिए पानी और बादल के समान है वे राम के गुण दोनों अक्षर संपूर्ण पुण्यों के फल स्वरूप भाग्यों के दाता संत एवं जगत का हित करने के लिये साधु लोग से हैं ।
बुरे मार्ग पर चलने वाले कुतर्की, कपटी, दंभी और पाखंडी रूपी कलियुग को जलाने के लिए दोनों अक्षर नाम व रूप ईन्धन और अग्नि के समान हैं। जो कलियुग को नष्ट कर देंगे ।
विषयरूपी सर्प का विष उतारने के लिए महामंत्र, मणि के समान हैं जो ललाट में लिखे कठिन से कठिन बुरे लेखों को मिटा देते हैं । अज्ञान रूपी अंधकार को हरण करने के लिए सूर्य और उसकी किरणों के समान तथा सेवक रूपी धान के पालन करने के लिए पानी और बादल के समान है वे राम के गुण दोनों अक्षर संपूर्ण पुण्यों के फल स्वरूप भाग्यों के दाता संत एवं जगत का हित करने के लिये साधु लोग से हैं ।
मनोइच्छित फल देने के लिए कल्पवृक्ष और सेवा भक्ति करने के लिए भगवान विष्णु और भोलेनाथ श्री शिव जी जैसे सुलभ हैं ।
उत्तम कवि के मनरूपी निर्मल आकाश में तारों के समान शोभायमान और भक्ति What a aणु और शिव प्रत्यक्ष जीवन धन के समान हैं। सेवकों के मन रूपी मानसरोवर में रहने वाले हंस तथा पवित्र करने में ज्ञान गंगा की तरंगों के समान वे दोनों अक्षर हैं।
यह राम गुण चन्द्रमा की किरणों के समान सभी को सुख देने वाला है। संतो के चित के लिए चकोर की भाँति विशेष हितकारी है ।
उत्तम कवि के मनरूपी निर्मल आकाश में तारों के समान शोभायमान और भक्ति What a aणु और शिव प्रत्यक्ष जीवन धन के समान हैं। सेवकों के मन रूपी मानसरोवर में रहने वाले हंस तथा पवित्र करने में ज्ञान गंगा की तरंगों के समान वे दोनों अक्षर हैं।
यह राम गुण चन्द्रमा की किरणों के समान सभी को सुख देने वाला है। संतो के चित के लिए चकोर की भाँति विशेष हितकारी है ।