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शनिवार, 6 जुलाई 2024

mahatma gandhi essay राष्ट्रपिता गांधी पर निबंध

mahatma gandhi essay राष्ट्रपिता गांधी पर निबंध

mahatma gandhi essay राष्ट्रपिता गांधी पर निबंध

हमारा देश महान स्त्रियों और पुरुषों का देश है।  जिन्होंने देश के लिए महान कार्य किए हैं जिन्हें भारतवासी सदा याद रखेंगे  कई महापुरुषों में हमारी आजादी की लड़ाई में अपना तन-मन-धन परिवार सब कुछ अर्पण कर दिया। 

ऐसे ही महापुरुषों में से एक थे महात्मा गांधी। 

महात्मा गांधी  युग पुरुष थे जिनके प्रति पूरा विश्व आदर की भावना रखता था  "अहिंसा परमो धर्म:"के सिद्धांत को नींव बनाकर विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गांधी ने देश को अंग्रेजों की गुलामी आजाद कराया।

महात्मा गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।उनके पिता का नाम का करमचंद्र गांधी था,जो ब्रिटीश राज के समय काठियावाड की एक छोटी रियासत के दीवान थे। 13 साल की उम्र में कस्तूरबा के साथ विवाह हो गया था विवाह के 2 साल बाद गांधी जी के पिता का निधन हो गया पिता की मृत्यु के एक साल बाद उनकी पहली संतान हुई, लेकिन दुर्भाग्यवश जन्म के कुछ समय बाद उनकी मृत्यु हो गई।

इन कठिन परिस्थितियों में भी गांधीजी ने हार नही मानी और 1887 में अहमदाबाद से हाईस्कूल किया तथा कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1888 में उन्होंने लंदन जाकर वकालत की पढ़ाई करने का निश्चय किया।

1891 में वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद गांधीजी वापस लौटे, लेकिन नौकरी के सिलसिले में उन्हें वापस दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। 23 साल की उम्र में वह दक्षिण अफ्रीका पहुँचे थे और एक सप्ताह बाद यात्रा करते समय उन्हें धक्के मारकर व पीटकर ट्रेन से फेक दिया गया। जबकि उनके पास फर्स्ट क्लास का टिकट था,यह काले गोरे के भेद के कारण था। किसी भी भारतीय या काले का प्रथम श्रेणी में यात्रा करना प्रतिबंधित था। इस घटना ने गांधीजी को बुरी तरह आहत किया। यह अंग्रेजो को अफ्रीका में नही भारत मे भी महंगा पड़ा।

1915 में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे और अपने गुरु गोपालकृष्ण गोखले के साथ इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हुए। इस दौरान भारत गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था और किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दे सके।

गोपालकृष्ण गोखले ने उन्हें देश की नब्ज को समझने का सुझाव दिया। गांधीजी ने देश के हालात को समझने के लिए भारत भ्रमण की योजना बनाई, जिससे देश की नब्ज को जान सके और लोगो से जुड़ सके।

उन्होंने असहयोग आदि आंदोलनों का नेतृत्व किया। देश की स्वतंत्रता में गांधीजी का योगदान शब्दो में नही मापा जा सकता। उन्होने अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर अंग्रेजो को भारत छोड़ने में मजबूर कर दिया।

गांधीवादी विचारधारा के दो आधार आधारभूत सिद्धांत सत्य और अहिंसा थे गांधी जी का मानना था कि जहां सत्य है वहां ईश्वर है अहिंसा का अर्थ होता है प्रेम और उदारता की पराकाष्ठा।गांधी जी के अनुसार  अहिंसक व्यक्ति किसी दूसरे को मानसिक व शारीरिक पीड़ा नहीं पहुंचा सकता। 

इसके अलावा गांधी जी के सिद्धांतों में शाकाहारी रवैया, ब्रह्मचर्य, सादगी, विश्वास शामिल है।

असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, भारत छोडो आंदोलन, चंपारण सत्याग्रह, खिलाफत आंदोलन,

सविनय अवज्ञा आंदोलन आदि सभी महात्मा गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन के हिस्सा थे।

गांधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी। सरल भाषा में दिए गए उनके भाषण देशवासियों पर जादू सा असर करते थे और उन्हें देश के प्रति जाग्रत करते थे उनके एक पुकार पर आज़ादी के दीवानों की टोलियां मातृभूमि पर बलिदान होने के लिए निकल पड़ती थी। पच्चीस वर्षो से भी अधिक समय तक उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध कई अहिंसक आंदोलन चलाये थे। अंग्रेज शासको की लाठियों, बंदूकों और तोपो बमो पर अहिंसा से विजय पाई और सदियो से गुलाम रहा भारत आज़ाद हुआ। इसलिए गांधीजी युगपुरुष कहलाये।

मोहनदास कर्मचन्द्र गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम नई दिल्ली स्थिति बिड़ला भवन में गोली मारकर की गई थी।

वे रोज शाम वहाँ प्रार्थना किया करते थे। 30 जनवरी 1948 की शाम जब वे सांध्यकालीन प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे उनके पैर छूने का अभिनय करते हुए उनके सामने आया और पिस्तौल से तीन गोलिया दाग दी।

इस हत्याकाण्ड में नाथूराम गोडसे और 7 लोगो को दोषी पाया गया।

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