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मंगलवार, 13 अगस्त 2024

श्री राम कथा Shri Ram Katha hindi Day 1

श्री राम कथा Shri Ram Katha hindi 

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आइये हम सब कथा यात्रा में प्रवेश करें, भगवान की यह कथा हम सबको प्राप्त हो रही है, यह कथा कब प्राप्त होती है? जब कृपा में भी कृपा हो जाती है उसे कहते हैं विशेष कृपा। भगवान शंकर ने भी मैया पार्वती से यही कहा है-

अति हरि कृपा जाहि पर होई। 

पांव देइ एहि मारग सोई।। 

एक होती है सामान्य कृपा सामान्य कृपा से संसार मिलता है संसार का सुख वैभव मिलता है, घर द्वार मिलता है, सामान्य कृपा से रुपया पैसा मिलता है, सामान्य कृपा से पद प्रतिष्ठा मिलता है। लेकिन प्रभु की कथा नहीं मिलती कथा तो केवल भगवान की विशेष कृपा से मिलती है और हम सबका यह सौभाग्य है कि हम पर भगवान की विशेष कृपा हुई है। 

भगवान की कथा में इतने सौभाग्य का दर्शन हो रहा है इसका प्रमाण क्या है? प्रमाण अगर हम भागवत महापुराण से देखें- जब राजा परीक्षित को सुखदेव भगवान भागवत कथा सुनाने जा रहे थे गंगा के पावन तट शुकताल में। 

उस समय देवता स्वर्ग का अमृत लेकर के उनके पास आए और कहने लगे सुखदेव जी राजा परीक्षित को मृत्यु का भय है तो यह स्वर्ग का अमृत लो इनको पिला दो और बदले में इसके हमको यह कथा अमृत पिला दो। 

देवताओं ने यह प्रस्ताव रखा स्वर्ग का अमृत दे दीजिए राजा परीक्षित को और हमको बदले में कथा अमृत दे दीजिए। 

सुखदेव जी ने कहा देवताओं से कहा अरे तुम ठगने आए हो हमको और वहां से भगाया। कहा कि कहां कांच का टुकड़ा और कहाँ मणि। तुम्हारा स्वर्ग का अमृत कांच का टुकड़ा है और यह भगवान की कथा अमृत मणि से बढ़कर है। 

विनिमय लेन देन सामान्य की मूल वस्तुओं में होता है। तुम कह रहे हो स्वर्ग के अमृत से कथा अमृत का अदला-बदली कर लें। तुम्हारा स्वर्ग का अमृत दो कौड़ी के कांच के टुकड़े के समान है और यह भगवान की कथा बहुमूल्य हीरे जवाहरात मणि के समान है इसकी कोई तुलना नहीं है। इसलिए यह लेनदेन नहीं हो सकता है और देवताओं को वहां से भगा दिया। 

तो यह हम सब का परम सौभाग्य है। मनुष्य योनि में जब परमात्मा की विशेष कृपा होती होती है तब यह कथा यात्रा में हम सबको यात्री बनने का अवसर मिलता है। 

इस कलयुग में आप एक चर्चा पूरे दुनिया में सुनेंगे जहां भी सनातनी रहता है। क्योंकि हिसाब किताब वही करता है। बाकी लोग हिसाब किताब करते नही हैं।

बाकी दुनिया लोग खाओ पियो मौज करो के सिद्धांत पर चलते हैं। सनातनी जहां भी रहता है वह हिसाब किताब रखता है की जो हम कर्म करते हैं उसका हिसाब किताब हमको चुकाना पड़ेगा। भोगना पड़ता है। 

इस कलयुग में एक चर्चा सर्वत्र चलती है क्या? अरे भाई कलयुग है भजन इतना आसान नहीं है । कलयुग है जप तप इतना आसान नहीं है।

प्रत्येक युग में साधना की पद्धति बदल जाती है। सतयुग में लोग ध्यान के द्वारा भगवान को पाते थे। त्रेता आया तो त्रेता यज्ञ प्रधान युग है त्रेता में बड़े-बड़े यज्ञ होते थे। द्वापर पूजा प्रधान है। अब कलियुग चल रहा है। कलयुग में व्रत साधन बहुत कठिन है। बाबा गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी लिखा है-

एहि कलिकाल ना साधन दूजा। 

जोग जग्य जप तप व्रत पूजा।। 

योग, यज्ञ, जप, तप, व्रत, पूजा यह छयो काम करना कलयुग में बहुत कठिन है। बाबा तुलसी तो युग दृष्टा संत थे 500 साल पहले उन्होंने लिख दिया था। 

जो लोग यह जप तप यज्ञ वृत पूजा करते हैं वह यह जानते हैं कि यह कितना कठिन है। बहुत कठिन है। हो भी पा रहा है तो बहुत कठिनाई से हो पा रहा है। 
तो किसी ने पूछा कि करना क्या चाहिए कलयुग के प्राणियों को? बाबा तुलसीदास जी कह रहे हैं-

रामहि सुमिरिय गाइय रामहिं। 

संतत सुनिय राम गुन ग्रामहिं।।

कलयुग में सबसे सरल साधन है भव पार होने के लिए कि राम को ही सुमिरिये और राम को ही गाइये। 

आइए हम राम कथा गाने व सुनने की महिमा को जानते हैं क्योंकि यह कथा के प्रथम दिवस में नियम है। कथा की महिमा का गायन होना चाहिए।

कथा क्यों सुनें, क्यों गायें, क्यों करें, क्यों करवायें, लाभ क्या है, प्रयोजन क्या है, उद्देश्य क्या है, कारण क्या है?  बहुत सारे लोगों के मन में यह विचार उठता है बार-बार तो एक ही कथा सुनते हैं इससे होगा क्या? 

रामायण की इतनी बड़ी पोथी है, वह रामायण तो एक ही श्लोक में पूरी किया जा सकती है। 

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हो गई रामायण। एक श्लोक में हो सकती है फिर 9-9 दिन, वर्ष में कई बार, जीवन में कई बार क्यों ? बार-बार क्यों ? कौन सी ऐसी कथा है इसमें जो हम नहीं जानते और क्यों सुनें दोनों बात। 

इस बात को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझते हैं क्योंकि यह वैज्ञानिक युग है। इस युग में विज्ञान परक जितनी बात होती हैं उसको व्यक्ति बहुत प्रमाणिक मानता है। यदि विज्ञान का आधार दिया जाता है तो उसको प्रामाणिक माना जाता है। 

मानस में बाबा तुलसी ने मंगलाचरण में सबसे बड़े विज्ञानी को प्रणाम किया है। 

वन्दे विशुद्ध विज्ञानौ कवीश्वर कपीश्वरौ। 

यहां पर उन्होंने विज्ञानी बस नहीं विशुद्ध विज्ञानी कहा है। विशुद्ध विज्ञानी हैं आदिकवि वाल्मीकि जी। 

फिर भी हम लौकिक व्यवहार से अगर देखे तो विज्ञान का एक नियम है। शरीर विज्ञान का। मुख से जो प्रवेश होता है वह मल द्वार से बाहर निकलता है पहला सिद्धांत। दूसरा सिद्धांत कान से जो प्रवेश करता है वह मुख मार्ग से निकलता है। 

प्रश्न था कथा क्यों श्रवण करें? तो देखिए अगर भगवान की कथा कानों से श्रवण करेंगे तो वही हमारे मुख से भी भगवान का नाम निकलेगा। अगर हम संसार का प्रपंच कानों से श्रवण करेंगे तो वही हमारे मुख से भी प्रपंच निकलेगा। उदाहरण के लिए हम कोई अभद्र फिल्मी गाने को सुन लेते हैं वही मुख से गुनगुनाते हैं वही निकलता है। 

और हम भगवान की कथा सुनते हैं तो भगवान का नाम मुख से निकलता है इसीलिए कथा सुनना चाहिए जो भी भगवान की कथा सुन लेता है जो गा लेता है वह अमर हो जाता है। 
( भजन- जय जय राम कथा जय श्री राम कथा )  

बंधुओं माता बहनों भगवान की कथा सुनने का परिणाम अगर देखे तो- 

सुनतहिं सीता कर दुख भागा। 

कथा सुनने से दुख जाता नहीं दुख भागता है। क्योंकि दोनों में अंतर है- जाया जाता है धीरे-धीरे, लेकिन भागा कैसे जाता है एकदम तेज से तो भगवान की कथा सुनने से दुख भी भागा जाता है। पल भर में गायब हो जाता है। 

और जिस संसार में हम रहते हैं उसका नाम है दुख्खालय- दुखों का घर यहां तो सभी दुखी हैं। अगर भगवान की कथा सुनने से वह दुख भाग जाए तो इससे बढ़कर के क्या बात हो सकती है सजनो। 

रामचरितमानस पढ़ा नहीं जाता गया जाता है। यह गायन का ग्रंथ है। बाबा तुलसी ने मानस में जो भी लिखा है चाहे वह संस्कृत के श्लोक हों, चाहे वह चौपाई हो, चाहे वह छंद हो, चाहे वह सोरठा हो, वह सब छंदबद्ध है। लयबद्ध है। राग रागनी में गाने योग्य है। 

यह गायन का ग्रंथ है आपके मन में यह प्रश्न उठ सकता है कि हमको तो गाना आता ही नहीं है यहां पर यह विचार ही नहीं करना है कि आता है कि नहीं आता है फिर आप विचार करेंगे कि हमको तो सही गलत का डर लगता है तो इसको तो सोचा भी नहीं है क्योंकि बाबा जी लिखते हैं

भांय कुभाय अनख आलसहू। 

नाम जपत मंगल दिसि दसहुँ।। 

श्री राम कथा Shri Ram Katha hindi Day 1