F राम कथा प्रवचन पुस्तक ram katha in short in hindi - Ram Deshik Prashikshan
राम कथा प्रवचन पुस्तक ram katha in short in hindi

bhagwat katha sikhe

राम कथा प्रवचन पुस्तक ram katha in short in hindi

राम कथा प्रवचन पुस्तक ram katha in short in hindi

राम कथा प्रवचन पुस्तक ram katha in short in hindi

ram-katha-short-hindi
भगवान का नाम चाहे किसी भी प्रकार लिया जाए भाव से अथवा को बिना भाव से आलस से चाहे जिस भी प्रकार भगवान का नाम मंगल ही करता है।

बाबा जी ने यहां पर जो लिखा है आलस में भी तो इसका एक तात्पर्य यह भी है की कथा सुनने में नींद बड़ी प्यारी आती है। कथा सुनने के लिए अगर बैठ जाया जाए तो वह बढ़िया नींद आती है कि कहना क्या।

उसके भी कई कारण है नींद आने के। पहले तो यह की कथा स्थल का जो वातावरण रहता है वह बड़ा दिव्य और शाश्वत रहता है और कथा के बीच में नींद इसलिए भी ज्यादा आती है कि जो हमारे पाप होते हैं वह कथा को सुनने में बाधा डालते हैं।

तो भगवान का नाम आलस में भी लिया जाए तो वह कल्याणकारी है।

राम राम कहि जे जमुहांयी। 
तिनहिं पाप पुंज समुहांयी।।

राम-राम कहता हुआ जो उबासी लेता है उसके तरफ पाप कभी आते भी नहीं सोते- उठते बैठते जागते राम नाम का उच्चारण करना चाहिए।


तन के मैल को धोने के लिए तो कई उपकरण बनाए गए हैं साबुन शैंपू इत्यादि। लेकिन मन के मैल को धोने के लिए केवल और केवल भगवान का नाम ही साधन है।

तो इसीलिए कथा सुनना चाहिए। गाना चाहिए । गृहस्थियों ने कहा की ठीक है कथा सुन लें लेकिन गाए क्यों? सज्जनो अगर हमारे मन में भी यह विचार उठता है की कथा क्यों गाये?
 
तो जिनके मन में ऐसा विचार आता है उनके लिए एक प्रमाण है। कि दुनिया के सबसे बड़े गृहस्थी इस कथा को गाए हैं इसलिए सबको गाना चाहिए। संसार के सबसे बड़े गृहस्ती कौन है?

गावत संतत शंभु भवानी। 
अरु घट संभव मुनि विग्यानी।।

भगवान शंकर और मैया पार्वती से बढ़कर के गृहस्थी संसार में कोई नहीं हुआ। तो उन्होंने भी इस कथा को गाया है।

यह जो राम कथा है यह प्रारंभ होती है शिव कथा से समान बुद्धि से विचार करेंगे तो यह बात सबके समझ में आने वाली नहीं है। क्योंकि मान लीजिए अगर आपको कोई बुलाए की आइय आप रोटी सब्जी खा लीजिए और आपके आने पर वह आपको दाल चावल परोस दे तो आप कहेंगे अरे दाल चावल खिलाना था तो दाल चावल ही बता देते रोटी सब्जी क्यों बोले।
 
सज्जनो बाबा तुलसी ने इस ग्रंथ का नाम लिखा है श्री रामचरितमानस। इसका मूल विषय क्या है भगवान राम।

जो इस कथा को श्रवण करता है उसको विश्राम मिल जाता है। संसार में सबके पास सब कुछ है लेकिन विश्राम नहीं है । मन को आराम नहीं है। मन में शांति नहीं है। तो मन में शांति होना ही यहां पर विश्राम कहा गया है और वह विश्राम केवल भगवान राम की कथा से मिलने वाला है।
 
अच्छा अब एक मन में प्रश्न यह उठता है कि यह कथा सुनने के बाद फल का परिणाम कब मिलेगा। तो यह बिल्कुल भी नहीं सोचना है कि फल कब मिलेगा।

जैसे कोई दवाई खाता है तो पूछता है कि यह फायदा कब तक में करेगी तो उसी प्रकार यह कथा सुनेंगे तो उसका फल कब तक में मिलेगा यह विचार नहीं करना है क्योंकि-

मज्जन फल पेखिय ततकाला। 
काग होइ पिक बकहु मराला।

तो यह भगवान की कथा तत्काल ही प्रसन्नता देने वाली है विश्राम देने वाली है। इस कथा के प्रभाव से कौवा भी कोयल हो जाता है, बकुला भी हंस हो जाता है ऐसा है इस राम कथा का दिव्य प्रभाव।
 
तो यह रामचरितमानस राम कथा है। राम कथा का मूल विषय है भगवान श्री राम और याग्यवल्क ऋषि ने शिव कथा सुनाना प्रारंभ कर दिया। मन में जिज्ञासा हो सकती है कि भाई राम कथा में राम कथा सुनाओ शिव कथा क्यों?
 
तो इसका उत्तर देते हुए कहने लगे कि बिना शिव कथा सुनाएं राम कथा में प्रवेश नहीं होगा। अगर उदाहरण के रूप में समझे तो जैसे किसी अच्छे विद्यालय पर एडमिशन लेना है तो उसके लिए एंट्रेंस एग्जाम होता है उसको पास करना पड़ता है। उसके परिणाम से यह ज्ञात होता है कि आप उस विद्यालय पर दाखिला लेने के लिए पात्रता रखते हैं कि नहीं।
 
तो राम कथा सुनने की पात्रता है भगवान शंकर की कथा सुनकर भगवान शंकर को हृदय पर धारण करना। मंगलाचरण के एक श्लोक को हम समझते हैं तो हमको पता चलेगा की राम कथा का प्रवेश द्वार क्या है राम कथा की प्रवेश परीक्षा क्या है।
 

भनानी शंकरौ वन्दे श्रद्धा विश्वास रूपिणौ।
याभ्यां विना न पश्यन्ति सिध्दा शान्तास्थमीश्वरम्।।

भगवान शंकर और माता पार्वती कौन है श्रद्धा और विश्वास। जीवन में जब तक श्रद्धा और विश्वास का प्राकट्य नहीं होगा तब तक राम कथा के अधिकारी ही हम नहीं होंगे। राम कथा के अधिकारी बनने का लक्षण है कि हमारे अंदर श्रद्धा और विश्वास दोनों का वास हो।
 
भगवान शंकर और मैया पार्वती की कथा प्रारंभ में इसीलिए गाई गयी है कि बिना श्रद्धा और विश्वास के हम राम कथा में प्रवेश ही नहीं पा सकते और बिना श्रद्धा विश्वास के भगवान और भक्ति से मिलन संभव ही नहीं है। श्री राम भगवान है मैया जानकी भक्ति हैं। इनसे मिलने के लिए हृदय पर श्रद्धा विश्वास का होना अति आवश्यक है।
सज्जनो भगवान शंकर ही राम कथा के रचयिता हैं-

रचि महेश निज मानस राखा।

और भगवान शंकर आज राम कथा सुनना चाह रहे हैं।

एक बार त्रेता जुग माहीं। शंभु गये कुंभज ऋषि पाहीं।।
राम कथा मुनि बरज बखानी। सुनि महेश परम सुख मानी।।

एक बात यहां पर फिर से ध्यान देने की है यहाँ फिर से कथा सुनने की महिमा है। भगवान शंकर मुनि से कथा सुनी और सुख नहीं परम सुख उनको प्राप्त हुआ तो यह भगवान की कथा परम सुख प्रदान करने वाली है।

राम कथा प्रवचन पुस्तक ram katha in short in hindi




Ads Atas Artikel

Ads Center 1

Ads Center 2

Ads Center 3